भूगोल - भारत का भूगोल
भूगोल
विषय कि सबसे पहले शुरुवात यूनान के निवासियो में हुई, वहीँ से भूगोल का
उदय हुआ । इसका श्रेय यूनान के निवासियो को जाता है । भूगोल को एक अलग
अध्यनशास्त्र के रूप में प्रसिद्धि यूनानी विद्वान "इरैटोस्थनीज" ने
स्थापित किया था । अतः इन्हे भूगोल का पितामाह भी कहा जाता है । इन्होने
ही सर्वप्रथम भूगोल के लिए ज्योग्राफिका शब्द का प्रयोग किया था । एक
विषय को अध्यन के रूप में सर्वप्रथम 19वी शताब्दी में मान्यता मिली थी ।
20वी शताब्दी में भूगोल मनुष्य और पर्यावरण के अध्ययन के रूप में विकसित
हुआ । इसकी दो विचार धाराएं थी - (1) संभावनावाद (2) नियतिवाद।
(1)
संभावनावाद - इसके अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में
समर्थ है तथा वह प्रकृति प्रदूत अनेक संभावनाओ को अपनी इक्षा के अनुसार
प्रयोग कर सकता है ।
(2)
नियतिवाद - इसके अनुसार मनुष्य के सारे काम पर्यावरण द्वारा निर्धारित
होते है अतः मनुष्य को स्वयेक्षापूर्वक कुछ करने कि स्वतंत्रता कम है ।
भूगोल कि परिभाषाएं -
स्ट्रैबो के अनुसार
- भूगोल एक ऐसा स्वतंत्र विषय है, जिसका उद्देश्य लोगो को विश्व, आकाशीय,
पिंडो, स्थल, महासागरों, ज़ीव जन्तुओ, वनस्पति, फलो तथा भू-धरातल के श्रोतो
में देखी जानें वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त करना है ।
आर्थर होम्स - भूगोल में पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है जो मानव के रहने का स्थान है।
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